पुस्तक के शीर्षक से अर्थ स्पष्ट है भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) धारा 304 बी, दहेज हत्या से जुड़ी है. इस धारा के तहत, अगर किसी महिला की शादी के सात साल के अंदर दहेज की मांग को लेकर उसका शारीरिक या आग से जलने जैसा कोई हादसा हो जाता है, तो उसे दहेज हत्या माना जाता है. इस मामले में, उस महिला के पति या उसके रिश्तेदार को दोषी माना जाता है यही कहानी है, योगेश की जिसके तहत उसे पत्नी की आकस्मिक दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु की पीड़ा थी और दूसरी तरफ उसके ही अपने माँ तुल्य सास व ससुर जी के झूठे आरोपों के तहत जघन्य अपराधियों के साथ 4 साल जेल में रहना पड़ा और इस कठिन यात्रा का संपूर्ण लेखा जोखा उसने इस किताब में पत्नी के प्रति समर्पण व प्यार का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया है जो ऐसी परिस्थितियों से जूझ रहे अनेक युवाओं के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा बनेगी, ऐसा मैं मानता हूँ.. इसीलिए मैंने भी सर्व युवा कल्याण व विकास के मकसद से इस पुस्तक के लिए अपना पेज लिखना स्वीकार कर इस अद्भुत प्रेम जोड़ी को आराध्य माँ काली की तरफ से शुभकामनाएँ व आशीर्वाद संप्रेषित करा है। ??❤