प्रायः मनुष्य एक से अधिक व्यक्तित्व को जीता है। वास्तव में वह जिन तथ्यों को सदैव अस्वीकार करता है या करने का दिखावा करता है, वही तथ्य उसके जीवन का आधार बन जाते हैं। प्रेम और उसकी अभिव्यक्ति इन्ही में से एक है। यह केवल एक कहानी नहीं बल्कि मन का दर्...
प्रायः मनुष्य एक से अधिक व्यक्तित्व को जीता है। वास्तव में वह जिन तथ्यों को सदैव अस्वीकार करता है या करने का दिखावा करता है, वही तथ्य उसके जीवन का आधार बन जाते हैं। प्रेम और उसकी अभिव्यक्ति इन्ही में से एक है। यह केवल एक कहानी नहीं बल्कि मन का दर्शन है, जो मेरे किरदार के 30 पत्रों में उभर कर सामने आया है। यह स्वीकार्यता और और अस्वीकार्यता के बीच अंतर्मन की संवेदनाओं का विस्तार है। उसका विश्वास है कि इसी साम्य बिंदु पर ही उसका मित्र/इष्ट या प्रियवर मिलेगा। In fact, human beings always live a double or many characters/personalities. Actually, he rejects them throughout his life, in fact, the same facts are the basis of his life. Love and its expression are one of them. It is not a story but a philosophy of the mindset which has come to the fore in the 30 letters written by my character. It is an expression of the pain of the mind, resting on the equivalence point of acceptance and unacceptability. She has faith that one day or the other, the letters written by him will surely reach her Friend/God or Beloved and he will meet him at the same equilibrium point. This is the third part of the "Sitaron Ki Duniya", which I wrote before writing the other two parts. Also, I have been completing the other 2 parts of this but still, now I am in the editing phase. Actually, it's a philosophy of human beings that I have tried to paint a picture of in words.