पुस्तक का शीर्षक "अर्धनारेश्वर" स्वयं ही काव्यसंग्रह के उद्देश्य को चरितार्थ कर रहा है कि नर नारी की पूर्णता एक दूसरे के साथ ही है।एक दूसरे के बिना जीवन नीरस व अधूरा है।ऐसी ही नारी की कुछ भावनाओं का समागम इस काव्य संग्रह में है।किस प्रकार से नारी ...
पुस्तक का शीर्षक "अर्धनारेश्वर" स्वयं ही काव्यसंग्रह के उद्देश्य को चरितार्थ कर रहा है कि नर नारी की पूर्णता एक दूसरे के साथ ही है।एक दूसरे के बिना जीवन नीरस व अधूरा है।ऐसी ही नारी की कुछ भावनाओं का समागम इस काव्य संग्रह में है।किस प्रकार से नारी अपने जीवन के उतार चढ़ाव के साथ आज के युग में कभी प्रकृति के सौंदर्य में,कभी समझौतों में श्रेष्ठ देखने की चेष्टा करते हुए,स्वयं को सकारात्मकता की ओर अग्रसर करती है।