स्वतंत्रता आन्दोलन हेतु नव-सेनानी निर्माण के उद्देश्य से युवा क्रांतिकारियों द्वारा 1943 ई. से आरम्भ हुई यह कथा परतंत्रता की दीर्घ तमस्विनी में 1861 ई. के पृष्ठभूमि पर एक वसुंधरा-भक्त सेनानी के स्वाधीनता संघर्ष पर आधारित है, जिसे प्रतिवेशी सत्ताधा...
स्वतंत्रता आन्दोलन हेतु नव-सेनानी निर्माण के उद्देश्य से युवा क्रांतिकारियों द्वारा 1943 ई. से आरम्भ हुई यह कथा परतंत्रता की दीर्घ तमस्विनी में 1861 ई. के पृष्ठभूमि पर एक वसुंधरा-भक्त सेनानी के स्वाधीनता संघर्ष पर आधारित है, जिसे प्रतिवेशी सत्ताधारियों के षड्यंत्र द्वारा राज्य से निष्कासित कर दिया जाता है किन्तु विषम परिस्थितियों के पश्चात भी उसने अनेक बाधाओं को सहर्ष सहते हुए, गिरी-कंदराओं में आश्रय लेकर अपने साथियों व युवाओं की सहायता से सेनानियों का समूह तैयार कर योजनाबद्ध नीतियों द्वारा अंग्रेजों के विरुद्ध अपने स्तर पर ‘स्वतंत्रता का सिंहनाद’ किया |