इस पुस्तक को इस रूप में प्रस्तुत करने का कारण व्यावहारिक तथा मनोवैज्ञानिक है। आज के डिजिटल युग में बच्चों का वास्तविक जगत से परिचय आवयक है। अतः विभिन्न प्रकार के छोटे-बडे तथा जड़ चेतन अवयवों से सहज रूप में उनका जुडाव हमारा उदेय हैं किसी भी अवयव से...
इस पुस्तक को इस रूप में प्रस्तुत करने का कारण व्यावहारिक तथा मनोवैज्ञानिक है। आज के डिजिटल युग में बच्चों का वास्तविक जगत से परिचय आवयक है। अतः विभिन्न प्रकार के छोटे-बडे तथा जड़ चेतन अवयवों से सहज रूप में उनका जुडाव हमारा उदेय हैं किसी भी अवयव से जुड़ने और उसे याद रखने में कान, आँख व जुबान मस्तिश्क की मदद करते है, जहाँ कविता पढ़ने में जुबान तथा कान की मदद मिलती है चित्र देखने से मस्तिश्क को आँख की मदद भी मिलने लगती है चित्र अवचेतन मन पर स्थायी प्रभाव छोडते हैं उनमें रंग भरने की प्रक्रिया उस अवयव के प्रति बच्चे की समक्ष को विकसित करती है।इस प्रकार पुस्तक समग्रता के साथ बच्चों को वातावरण से जोडने के उद्देय पूरा करती है मुझे विवास है कि पुस्तक अपने उद्देय पूरा को प्राप्त करेगी।