यथार्थ आज का सच है , लेकिन इस सच से जूझते हम सब, अपनी भावनाओं को ख़त्म करते जा रहे हैं मैं इस तरह लेकिन नहीं सोच पाती. मेरी दुनिया भावनाओं से शुरू होकर भावनाओं पर ही ख़त्म हो जाती है . मै नहीं जानती के कितने लोग मेरे जैसा सोचते हैं और उस हिसाब से जी...
यथार्थ आज का सच है , लेकिन इस सच से जूझते हम सब, अपनी भावनाओं को ख़त्म करते जा रहे हैं मैं इस तरह लेकिन नहीं सोच पाती. मेरी दुनिया भावनाओं से शुरू होकर भावनाओं पर ही ख़त्म हो जाती है . मै नहीं जानती के कितने लोग मेरे जैसा सोचते हैं और उस हिसाब से जीने की भी कोशिश करते हैं , पर मै एक बात ज़रूर जानती हूँ , के भावनाओं के बिना यथार्थ का कोई मतलब नहीं. एक समय बाद, आपकी भावनाएं ही आपको बचा पाएंगी, आपका यथार्थ नहीं मेरी इस कोशिश को पढ़िएगा और ज़रूर बताएगा के आपको ये कोशिश कैसी लगी