आज हम जो कहानी आपके लिए लाए हैं वह कहानी है हमारे समाज में फैले अंध विश्वास की आज आज़ादी के 75वर्ष हो चुके हैं हमारा देश आज शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति पर है परंतु हमारे समाज में आज भी अंध विश्वास अपने चरम पर है।इस कहानी के माध्यम से हम अपने पाठक...
आज हम जो कहानी आपके लिए लाए हैं वह कहानी है हमारे समाज में फैले अंध विश्वास की आज आज़ादी के 75वर्ष हो चुके हैं हमारा देश आज शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति पर है परंतु हमारे समाज में आज भी अंध विश्वास अपने चरम पर है।इस कहानी के माध्यम से हम अपने पाठकों को हकीकत से रूबरू कराते हैं यह कहानी शुरू होती हैं एक कक्षा 7 में पढ़ने वाली छोटी सी बच्ची प्रीति से जो अपनी सहेलियों के साथ खेलने के लिए जाती है परंतु उसकी मां प्रमिला उसे बार बार पुरानी हवेली न जाने के लिए कहती हैं। प्रीति अपनी जिंदगी में खुश हैं अपनी सहेलियों के साथ ख़ूब मस्ती करती हैं और अपनी सहेली ईशाना और काजल के साथ बॉल से खेलते खेलते काफी दूर मैदान में चली जाती है जहां पर उसकी बॉल एक लड़की को लग जाती है। वह लड़की नीचे गिर जाती है उसके पास बहुत सारे चॉकलेट होते हैं जो गिर जाती है उन्हे देखकर प्रीति कहती हैं ओह देख उसके पास कितनी सारी चॉकलेट हैं और फिर काजल उस लड़की को उठाती है और पूछती हैं तुम्हें कहीं चोट तो नही लगी लड़की बोलती है नहीं और ईशाना उस लड़की से उसका नाम पूछती है। अब आगे...................... .....….................................….............