मैं कोई लेखिका नहीं हूं। सिर्फ इस पृथ्वी में, आप जैसी हूं बिल्कुल समान, मगर मेरे अंदर 13 साल की उम्र के बाद, इस दुनिया को धीरे-धीरे समझना शुरू किया, जैसे-जैसे मेरी उम्र बढ़ती चली, तभी से मेरे मन में अनेकों सवाल जागृत हुए। मेरे मन में, ...
मैं कोई लेखिका नहीं हूं। सिर्फ इस पृथ्वी में, आप जैसी हूं बिल्कुल समान, मगर मेरे अंदर 13 साल की उम्र के बाद, इस दुनिया को धीरे-धीरे समझना शुरू किया, जैसे-जैसे मेरी उम्र बढ़ती चली, तभी से मेरे मन में अनेकों सवाल जागृत हुए। मेरे मन में, दिमाग में हर सवालों का जवाब मिलने की खोज ने मेरे पूरे शरीर में उत्साह जागृत कर दी। यह दुनिया, अंतरिक्ष, पृथ्वी, प्रकृति, इंसान, और इस ब्रह्मांड के सभी जीव-जगत को जानने का मेरे अंदर बहुत जिज्ञासा बढ़ गई थी। जिस तरह से मैं इस दुनिया को जान पा रही हूं, उसी तरह से इस दुनिया में हर प्रकार के सुख, और दुख देखकर जो भी मेरे मन में बातें आई, सिर्फ वही मैं आप सबको बता रही हूं। इस दुनिया का व्यवहार देखकर ही मैं यह सब लिख रही हूं।क्योंकि यह दुनिया के लिए बहुत जरूरी है; जो कि इस किताब में सबसे ज्यादा गैर काल्पनिक, और ज्यादातर सच्ची ही बातें हैं, और थोड़ा बहुत सिर्फ काल्पनिक है। जो की इस किताब में हर एक मनुष्य की जिंदगी की हकीकत है, मेरी हकीकत है, दुनिया की हकीकत है; जो इसमें शब्द लिखे हुए हैं यह दुनिया की सच्चाई है, जिसको आप सबको जानना बहुत ही ज्यादा जरूरी है, इसलिए एक बार इस किताब को जरुर पढ़े जो सभी को पढ़ना बेहद जरूरी है; इसलिए एक बार इसको जब खुद से देखोगे, तभी तो जानोगे। और यह किताब, और भाषाओं में भी अभी उपलब्ध है, और यही किताब, और भाषाओं में कुछ समय बाद उपलब्ध हो जाएगी।