मानव हमेशा जो उसके पास श्रेष्ठ है उसकी कद्र नहीं करता जिसकी उसके पास कमी है उसकी चिंता करता है। अगर मुंह में 32 दांत होते है और अगर उसमे से कोई एक टूट जाए तो जीव हमेशा उस टूटे दांत को ही ढूंढता है। ठीक उसी परकार हमारे अंदर जो कमी है हम उसको ढूंढते...
मानव हमेशा जो उसके पास श्रेष्ठ है उसकी कद्र नहीं करता जिसकी उसके पास कमी है उसकी चिंता करता है। अगर मुंह में 32 दांत होते है और अगर उसमे से कोई एक टूट जाए तो जीव हमेशा उस टूटे दांत को ही ढूंढता है। ठीक उसी परकार हमारे अंदर जो कमी है हम उसको ढूंढते है। तो जरूरी है की हम अपने मन पर काबू रखे और अपने अंदर श्रेष्ठ और कमी को एक ही भाव से देखे।