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Kaal Krandan

by Videh Arvind Kumar | 18-May-2022

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काल-क्रंदन जीवन के प्रथम प्रहर की हृदयाभिव्यक्तियों (1972 से 1976 तक) के ‘आर्त-गान’ के बाद, 1979 से 1990 तक के द्वादश वर्षीय काल-खण्ड में मैंने जो क्रंदन किया था उसे मैने कविता कहा और उन कविताओं का ‘कालरेखʼ नाम मैंने चुना था; क्योंकि काल की छाती प...
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Book Details

  • Language : Hindi
  • Pages : 158
  • ISBN : 9789356282988
  • Genre: POETRY
  • Size : 5" x 8"
  • Binding Type : PAPERBACK
  • Age Group: + Years
  • Paper Type : NATURAL SHADE
  • Interior : BLACK & WHITE
  • Cover : GLOSS FINISH
  • Book Type : PAPERBACK
  • Tags : Kaal Krandan,Poetry
  • Best Sellers Rank :
    #8 in Poetry
    #36 in Global

Reviews

  • 'VIDEH' ARVIND KUMAR

    13-09-2022

    एक से एक लकीर से हटी हुई कविताएँ जो सारे दक़ियानूसी बंधनों को तहस-नहस कर रही हैं, फिर भी अत्यंत उपादेय हैं। आख़िर नए युग के लिए नए मानक या meter ही होने चाहिए न! meter बनाने का ठेका क्या पुराने लोगों ने ही लिया था?