कभी सोचा है, मोहब्बत में एहसास के बाद और इज़हार से पहले खुद के एहसास को इनकार क्यों किया जाता हैं? शायद यहीं मोहब्बत का दस्तूर है। यह किताब की लेखना एक लड़की के नज़रिए से की गई है। इस किताब के ज़रिए मैं एक प्रेम कथा को कविताएं और लघु कथाओं के रूप ...
कभी सोचा है, मोहब्बत में एहसास के बाद और इज़हार से पहले खुद के एहसास को इनकार क्यों किया जाता हैं? शायद यहीं मोहब्बत का दस्तूर है। यह किताब की लेखना एक लड़की के नज़रिए से की गई है। इस किताब के ज़रिए मैं एक प्रेम कथा को कविताएं और लघु कथाओं के रूप में प्रस्तुत करती हूॅं। यह कहानी उस वक्त से शुरू होती है, जब वह लड़की अपने साथी से मिली भी नहीं थी। यह किताब शुरू होती है उस खयाल से की, वो लड़की अपने जीवन साथी से क्या उम्मीद रखती है, फिर उनकी पहली मुलाकात, प्यार का एहसास, प्यार का इनकार, प्यार का इज़हार, उनके ज़िंदगी में आए बाधाओं को दर्शाती है। क्या वो दोनों इन सभी एहसास और हालातों से गुज़र कर, अंत में एक दूसरे के जीवन साथी बनते है या नहीं, यह जानने के लिए इस किताब को पढ़िए। इस किताब का दूसरा भाग स्वर्गवासी श्री सुशांत सिंह राजपूत जी के याद में, उनको अर्पण किया गया है। उम्मीद है, आप लोगों को यह प्रेम कथा पसंद आएगी।