भारत एक संघात्मक राज्य है। जहां केन्द्र तथा राज्यों को अपने विकास के असीम अवसर होते है। दोनों ही जगह शक्तियों के प्रथक अस्तित्व में उत्थान के अवसर प्रदान किये हैं ! प्रशासन के तीन अंग होते है न्यायपालिका,कार्यपालिका और व्यवस्थापिका किसी भी राष्ट्र...
भारत एक संघात्मक राज्य है। जहां केन्द्र तथा राज्यों को अपने विकास के असीम अवसर होते है। दोनों ही जगह शक्तियों के प्रथक अस्तित्व में उत्थान के अवसर प्रदान किये हैं ! प्रशासन के तीन अंग होते है न्यायपालिका,कार्यपालिका और व्यवस्थापिका किसी भी राष्ट्र या राज्य के समग्र विकास में शासन के तीनों अगों का महत्व होता है संसदीय शासन पद्धती में कार्यपालिका ने अपना नेतृत्वपूर्ण स्थान बना लिया हैं । यही कारण रहा है कि उत्थान और पतन में नेतृत्व की महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती हैं | भारत के विभिन्न राज्यों में विकास की असमानता रही हैं असमानता प्रमुख कारणों में विभिन्न राज्यों में संसाधनों के साथ नेतृत्व की कुशलता का महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164(1) के अनुसार प्रत्येक राज्य में राज्यपाल को उसके कार्यों में सहयोग देने के लिए एक मंत्री परिषद् का प्रावधान रखा गया है, जिसका प्रमुख मुख्यमंत्री होता है। भारतीय संविधान के ही अनुच्छेद 164 के अनुसार राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है। सामान्यत: विधानसभा में बहुमत दल के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त करने का प्रावधान है। परन्तु ऐसी स्थिति में, जब विधान सभा में किसी भी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं होता, राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, तथा अपने विवेक का उपयोग करते हुए मुख्यमंत्री नियुक्त करता है। ऐसी स्थिति में प्राय:विधान सभा में सर्वाधिक सदस्य संख्या वाले दल के नेता को या किसी ऐसे व्यक्ति को जो अधिकाधिक दलों और स्वतन्त्र सदस्यों का समर्थन प्राप्त करने में समर्थ हो,मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाता है। संविधान के अनुच्छेद 164(4) में यह प्रावधान है कि ऐसा व्यक्ति भी मुख्यमंत्री बना