महर्षि वेदव्यास रचित महाभारत ग्रंथ एक ऐसा विशाल आईना है जो मानवता की हर कसौटी पर खरी उतरी हजारों वर्षों पुरानी भारतीय संस्कृति की गरिमा दर्शाता है। इसमें कौरवों-पांडवों के पारिवारिक कलह की मुख्य धारा के साथ पवित्र ग्रंथों व महापुरुषों के कथनों, गौ...
महर्षि वेदव्यास रचित महाभारत ग्रंथ एक ऐसा विशाल आईना है जो मानवता की हर कसौटी पर खरी उतरी हजारों वर्षों पुरानी भारतीय संस्कृति की गरिमा दर्शाता है। इसमें कौरवों-पांडवों के पारिवारिक कलह की मुख्य धारा के साथ पवित्र ग्रंथों व महापुरुषों के कथनों, गौरवमय इतिहासों, शिक्षाप्रद उपकथाओं तथा उपदेशों के विविध नदी नालों का अद्भुत संगम हुआ है। इसलिये यह एक युद्ध की पतली धारा न रहकर शाश्वत धर्म और नैतिक मूल्यों की पवित्र गंगा बन गई है। इन कथाओं में धर्म के मूलभूत विधि-विधानों, नियमों व नीतियों के सदाबहार फूल बड़ी खूबसूरती से पिरोये गए हैं जो हमें सार्थक जीवन जीने की शिक्षा देते हैं। इन अनसुनी कथाओं से हमें जीवन संग्राम की उलझनों और कठिन परिस्थितियों में भी सत्य, करुणा, संतोष, अहिंसा, स्वार्थ-त्याग, परमार्थ साधन, सरलता, अपरिग्रह, अस्तेय आदि देश, काल व जाति से परे मानव धर्म के चिरस्थायी सिद्धांतों का दृढ़तापूर्वक पालन करने की प्रेरणा मिलती है। लेकिन महाभारत के करीब 1,15,000 श्लोकों में बिखरी हुई इन कथाओं को ढूँढकर पढ़ना सबके लिये संभव नहीं है। इसलिये लेखक ने कुछ अति प्रेरक कथायें चुनकर उनका सार ‘महाभारत की अनसुनी कथायें’ में डाला; आधुनिक युग के अनुसार टिप्पणियाँ की; तथा व्यावहारिक शिक्षायें लिखी। हमें दृढ़ विश्वास है कि अनूठी लेखन शैली में लिखी यह पुस्तक पाठकों को अवश्य पसंद आयेगी।