“मैं कविता हूँ” इस कविता संग्रह के विभिन्न कविताओं में माँ की ममता, श्रींगार, कही आह, कहीं चाह, कहीं दर्द, कहीं देश के प्रति जज़्बा को दर्शाया गया है । समाज को कर्म पथ पर अग्रसर होने के लिए सिख भी देती है, वहीं देश प्रेम की जज़्बा को भी जागृत करने...
“मैं कविता हूँ” इस कविता संग्रह के विभिन्न कविताओं में माँ की ममता, श्रींगार, कही आह, कहीं चाह, कहीं दर्द, कहीं देश के प्रति जज़्बा को दर्शाया गया है । समाज को कर्म पथ पर अग्रसर होने के लिए सिख भी देती है, वहीं देश प्रेम की जज़्बा को भी जागृत करने का आहवाहन करती है। कुछ कविता सामाजिक समस्याओं पर भी चोट करती है। भाग २ में कुल ३५ कविताएँ हैं। आशा है आपको पसंद आएँगे