"मनुष्य शरीर में ईश्वर का विज्ञानमय रहस्य" यह किताब विज्ञान से परिपूर्ण है। आत्मज्ञान, जिसका एक अंश वैज्ञानिक ज्ञान भी है, वह हमारी आत्मा में ही बसा है, और आत्मा तो स्वयं आदिशक्ति हैं, सब विद्याओं, कलाओं, गुणों की धनी है। वैज्ञानिक रहस्य जो आम मान...
"मनुष्य शरीर में ईश्वर का विज्ञानमय रहस्य" यह किताब विज्ञान से परिपूर्ण है। आत्मज्ञान, जिसका एक अंश वैज्ञानिक ज्ञान भी है, वह हमारी आत्मा में ही बसा है, और आत्मा तो स्वयं आदिशक्ति हैं, सब विद्याओं, कलाओं, गुणों की धनी है। वैज्ञानिक रहस्य जो आम मानव से कोसों दूर हो गए हैं, उनकी प्राप्ति का मार्ग व सुझाव इसमें बताया गया है। हमारे प्रभु ने मानव शरीर नमक यंत्र बनाया। इसकी प्राप्ति जिस हेतु हुई थी, उसको हम सभी ने भुला दिया, और स्वयं इतनी महान शक्ति होते हुए हमने अपने परिचय को नकार दिया। जब आप किताब पड़ेंगे तभी इसका अर्थ जान पाएंगे कि कैसे ईश्वर मनुष्य शरीर में विज्ञानमय ढंग से छिपा है। मानव जन्मों से बहुत कुछ जुटाने में व्यस्त रहा है, 70- 80 वर्ष का जन्म सब कुछ पाने में लगा देता है, किंतु सबसे महत्वपूर्ण कोई था जो उसके सबसे नजदीक था, उसपर कभी ध्यान न दिया।