करता हूँ मैं इंतज़ार अपनी मौत का,ज़ालिमों के लहू का और ज़रूरत है तुम्हारी रूहों की, बेगुनाहों को इंसाफ दिलाता है जो शैतान इकलौता, लोग मुझे कहते हैं, मुखौटा ।' अनसुनी आवाज़ गरजते हुए बोली और तलवार की धार से जोसेफ के पाँच बेहतरीन कातिलों के सर कलम कर दि...
करता हूँ मैं इंतज़ार अपनी मौत का,ज़ालिमों के लहू का और ज़रूरत है तुम्हारी रूहों की, बेगुनाहों को इंसाफ दिलाता है जो शैतान इकलौता, लोग मुझे कहते हैं, मुखौटा ।' अनसुनी आवाज़ गरजते हुए बोली और तलवार की धार से जोसेफ के पाँच बेहतरीन कातिलों के सर कलम कर दिए । अपने साथियों के सर धड़ से अलग देख सभी चौकन्ना हो गए और तलाशने लगे उसे, जिसे लोग कहते हैं मुखौटा । 'जिसे तुम ज़मीन पर तलाशते हो, वह अक्सर हवा में लहराता हुआ अपने दुश्मनों के जिस्मों की बोटी-बोटी काट अपनी तलवार की प्यास बुझाता है । हहह...।' 'जो दूसरों की जान लेते हैं, उनकी जान लेना कत्ल नहीं होता, इसे मेरी नज़र में इंसाफ कहते हैं।' 'मैं एक रूह हूँ और रूहों को तलाशना इंसानी नसीब में नहीं, उम्मीद करता हूँ तुम्हें नर्क नसीब हो।' 'तो आओ जगत की प्रेत आत्माओं और मेरा शिकार कर मेरी रूह ईश्वर को समर्पित करो ।'