कहानी सुनना और कहना मानव समाज की सहज वृत्ति है। रचना की दृष्टि से कहानी में प्यार, हृदय स्पर्शी मर्म, विदारत बातें होती है। उसे यदि मंचन के जरिए आप सम्मुख प्रस्तुत करते हैं तो मेरी दृष्टि से और भी अच्छी तरह से समझा जा सकता है।"लेखक या लिखने वाला ब...
कहानी सुनना और कहना मानव समाज की सहज वृत्ति है। रचना की दृष्टि से कहानी में प्यार, हृदय स्पर्शी मर्म, विदारत बातें होती है। उसे यदि मंचन के जरिए आप सम्मुख प्रस्तुत करते हैं तो मेरी दृष्टि से और भी अच्छी तरह से समझा जा सकता है।"लेखक या लिखने वाला बहुत कुछ लिख देता है पर पढ़ने वाला उसके थाह तक नहीं पहुँच पाता।""यदि पढ़ने वाला उसके थाह तक पहुँच जाता है तो लिखने वाले का जीवन सार्थक हो जाता है।"इसलिए मैंने कहानियों के नाट्य रूपांतरण के बारे में सोचा।कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी को पढ़ने से एक सुकून सा मिलना, आधार प्रदान करता है।"सृष्टि" सामाजिक और सांस्कृतिक संस्था, चाईबासा के संस्थापक, कलाकार और निर्देशक श्री प्रकाश कुमार गुप्ता की प्रेरणा से प्रेरित होकर मैंने यह कार्य करने का साहस जुटाया। मुंशी जी जिस सम्मान के हकदार है उन्हें मिला या नहीं, मैं अनभिज्ञ हूँ परन्तु उनकी कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं इस महान यज्ञ में मेरी कोशिशों को मूर्त रूप दिया शहर के प्रसिद्ध रंगकर्मी, साहित्यसेवी, हिन्दी प्राध्यापक और मेरे मार्गदर्शक श्री डॉ० सी० भास्कर राव जी ने। कोटि-कोटि नमन उन्हें।इस पुस्तक को मैं अपनी पत्नी को समर्पित करना चाहता हूँ। जो पिछले 26 वर्ष से मेरे साथ इस नाट्य जगत में कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं।अंत में मैं इतना ही कहूँगा कि आपके द्वारा कला संस्कृति और साहित्य जगत में इस पुस्तक का भव्य स्वागत होगा। आपके प्रेम, आशीष और सुझाव की प्रतिच्छा में...ए बाबू रावअध्यक्ष, ट्रस्टी, अभिनेता, लेखक और निर्देशकजयालक्ष्मी नाट्य कला मन्दिरम् (सामाजिक एवम् सांस्कृतिक संस्था) जी/9, दुर्गा विला 5/165 सोनारी वेस्ट ले आउट, तरूण संघ के समीप) जमशेदपुर 831011, झारखंड, जय भारत