Original
Books
Fastest
Delivery
7-day
Replacement
अंकित कलमोदिया की पुस्तक "ऊर्जा" अपने शीर्षक की तरह ही सम्पूर्ण पुस्तक में जीवन्तता और शक्ति से भरी हुई है। यह न केवल एक युवा लड़की की कहानी है, जो समाज की रूढ़िवादी सोच और अपने आंतरिक द्वंद्व से जूझ रही है, बल्कि यह आधुनिक समाज के उन कटु यथार्थों को भी उजागर करती है जिन्हें अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। कहानी की नायिका अपने अस्तित्व की लड़ाई अकेले लड़ती है। वह पढ़ी-लिखी, समझदार और आत्मनिर्भर है, लेकिन फिर भी सामाजिक दबावों और पारिवारिक विरोधाभासों से घिरी हुई है। लेखक ने बहुत ही सूक्ष्मता से यह दिखाया है कि किस तरह एक शिक्षित व्यक्ति भी समाज के ढकोसलों में फंसकर अपनी सोच को खो देता है। विशेष रूप से बेटे की चाह में उसका सब कुछ गंवा देना — यह दृश्य पाठको को झकझोर देता है। "ऊर्जा" का विशेष गुण इसकी लेखन शैली है — हर पंक्ति में भावना है, हर शब्द में कोई न कोई संदेश छिपा हुआ है। यह किताब नारी-सशक्तिकरण, सामाजिक पाखंड और पारिवारिक विडंबनाओं पर तीखा प्रहार करती है, लेकिन कहीं भी उपदेशात्मक नहीं लगती। लेखक की भाषा सरल, प्रभावशाली और हृदयस्पर्शी है। साहित्यिक दृष्टिकोण से, यह उपन्यास उन रचनाओं में शामिल किया जा सकता है जो समाज के आइने के रूप में कार्य करती हैं। यह एक चेतावनी भी है — कि यदि हम अपने दृष्टिकोण को नहीं बदलते, तो हम अपने सबसे कीमती रिश्तों और मूल्यों को खो देंगे। "ऊर्जा" केवल एक कहानी नहीं है, बल्कि एक विचार है — एक प्रेरणा जो पाठक को भीतर से झकझोर देती है। यह पुस्तक उन सभी के लिए पढ़नी चाहिए जो समाज की सच्चाई को समझना चाहते हैं और बदलाव की ओर पहला कदम उठाना चाहते हैं। जरूर पढ़े ♥️ ♥️