पर्यावरण प्रकृतिक की शोभा पुस्तक की रचना पाठ्य पुस्तक के रूप में है। भारत के सभी विश्वविद्यालयों में पर्यावरण विज्ञान व पर्यावरण अध्यन विषय के पाठ्यक्रम की पढ़ाई को शुरू किया जा चुका है। इसका प्रमुख कारण यह है पर्यावरण की समस्याओं के प्रति लोगो की ...
पर्यावरण प्रकृतिक की शोभा पुस्तक की रचना पाठ्य पुस्तक के रूप में है। भारत के सभी विश्वविद्यालयों में पर्यावरण विज्ञान व पर्यावरण अध्यन विषय के पाठ्यक्रम की पढ़ाई को शुरू किया जा चुका है। इसका प्रमुख कारण यह है पर्यावरण की समस्याओं के प्रति लोगो की बढ़ती जागरूकता। हम सब आज इसकी चर्चा करने के लिए उन्मुख हैं क्योंकि विकसित देशों में पर्यावरण की संकट अपना रौद्र रूप को दिखने लगा है। मानव जीवन की कुछ आधारभूत वस्तुओं यथा वायु, जल, मृदा आदि की गुणवत्ता में हो रहे ह्रास ने यह सोचने के लिए वाध्य कर दिया है। पर्यावरण का संतुलन बिगाड़ रहा है। यदि पारिस्थैतिकी इसी तरह नष्ट होती गयी तो इस धरती पर प्रकृतिक की शोभा बिलकुल नष्ट हो जाएगी तथा सम्पूर्ण जैव जगत का जीवन पर संकट उत्पन्न हो जाएगा। आज इस समस्या के समाधान को ढूंढ़ना काफी आवश्यक है।