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पोनी—कुत्ते की आत्मकथा ये पुस्तक हमने ओशो के चरणों में समर्पित की है....आपको हर पन्ने पर ओशो का प्रसाद झरता महसूस होगा। आप जब इस पुस्तक को पढ़ रहे होगे तो अध्यात्म के हर मोड़ के अवरोध जो साधक के जीवन में आते है.....उनसे न घबरा कर कैसे उससे पार हुआ जा सकता है। मनसा—मोहनी मनसा—मोहनी जब तुम एक कुत्ते से बात करते हो, खेलते हो, उसके प्रेम में डूबते हो। तब एक अहंकार की मोटी पर्त जो तुम्हें समाज ने दी है। एक संस्कार, सभ्यता के रूप में, वह विलीन होनी शुरू हो जाती है। तुम एक अबोध बाल वत होना शुरू हो जाते हो। तुम्हारे तनाव, तुम्हारे मन—तन में फैला जहर वह चूस लेता है। एक पागल आदमी भी अगर कुत्ते का संग साथ करें तो वह स्वास्थ्य हो सकता है। समाज ने उसे जो अहंकार तुम्हें धरोहर के रूप में दिया है वह विदा हो जाता है। क्योंकि कुत्ते के साथ अहंकार का प्रश्न ही नहीं उठता। उनका मन इतना तरल है, शुद्ध सफटिक जलवत। पूर्ण पशु जाति में केवल कुत्ता ही जल तत्व की अधिकता समेंटे होता है अपने में। ओशो विज्ञान भैरव तंत्र, भाग—5