जब मैने , या फिर आप ने पहली बार स्कूल गेट के इस तरफ से उस तरफ अपने कदम रखे थे , तो मन मे सिर्फ एक डर था , की आज के बाद शायद , मम्मी पापा कभी हमे लेने वापस आएंगे हि नहीं , हमने एक बार भी ऐसा नहीं सोंचा था के , उसी स्कूल मे हमे हमारे सबसे खास दोस्त ...
जब मैने , या फिर आप ने पहली बार स्कूल गेट के इस तरफ से उस तरफ अपने कदम रखे थे , तो मन मे सिर्फ एक डर था , की आज के बाद शायद , मम्मी पापा कभी हमे लेने वापस आएंगे हि नहीं , हमने एक बार भी ऐसा नहीं सोंचा था के , उसी स्कूल मे हमे हमारे सबसे खास दोस्त मिलेंगे , सबसे प्यारे दुश्मन मिलेंगे , स मुस्कराती हुई ज़िंदगी मिलेगी , मुँह चिढ़ाती हुई परेशानियां , साथ ही हमेशा के लिए सांथ रहजाने वाला प्यार मिलेगा , और हम जिस स्कूल मे दाखिल होते हुए दहाड़ें मार मार कर रो रहे हैं , एक दिन उसी स्कूल की तस्वीरों को मन मे टटोल कर उन यादों की याद मे मुस्कराएंगे । आरू , याने आरव द्विवेदी ने अपनी ज़िंदगी से अबतक सिर्फ यही सीखा है के " LIFE IS NOT WHAT YOU PLAN TODAY , LIFE IS WHAT END'S UP HAPPENING TOMORROW. " अगर सीधे सीधे कहें तो " life is what end's up happening." ये डायरी है आरू की , और कहानी हम सभी की , जहां दोस्ती , और प्यार का मतलब ही ज़िंदगी है। लेकिन मुझमे , आरू / आरव मे और आप मे एक बात है जो बुल्कुल एक जैसी है , वो ये के अपने एक हांथ से ज़िंदगी ने जो रिश्ते हमे दिये थे , उन्हे दोनो हाथों से छीन कर ज़िंदगी ने अपना चेहरा हम से फेर लिया। आरू की डायरी का जितना हिस्सा मुझे मिला , वो आपके पढ़ने के लिए मौजूद है। अगर आप पढ़ें , तो किसी से जा कर आरू की personal बारें share ना कर दीजियेगा । बुरी बात होती है।