आप के सामने प्रस्तुत काव्य संग्रह यह मेरी पहली काव्य संग्रह है। कविताओ मे मेरी रूचि बाल्यकाल से ही जागृति हो उठी थी, जब मै 10वीं की परीक्षा दे रहा था तब मैने पहली कविता लिखी थी जो वर्तमान मे खो गई। उसके बाद से मैने अपनी कविता संग्रह "रेत का शहर" क...
आप के सामने प्रस्तुत काव्य संग्रह यह मेरी पहली काव्य संग्रह है। कविताओ मे मेरी रूचि बाल्यकाल से ही जागृति हो उठी थी, जब मै 10वीं की परीक्षा दे रहा था तब मैने पहली कविता लिखी थी जो वर्तमान मे खो गई। उसके बाद से मैने अपनी कविता संग्रह "रेत का शहर" के लिए अत्यधिक प्रयत्न किया। इस कविता संग्रह के लिए मैने 5 वर्षो सफर तय किया। कविताओ मे कुछ उभरती त्रुटियों के कारण मै अन्दर से हतोत्साहित हो उठा था, पर किसी सज्जन पुरूष ने कहा है कि कविताएं लिखते रहिए उसके परिणाम की चिन्ता पहले मत कीजिए और मै उसी परिणाम की चिन्ता करने लगा था तथा अपनी कलम को विराम दे चुका था। सन् 2021 मे मै प्रयागराज आ कर "इलाहाबाद विश्वविद्यालय" मे प्रवेश लिया, फिर कुछ मित्र बंधु जिन्होने मुझे कविता पुनः लिखने का प्रेरणा दी, और मैने उनकी सहायता से पुनः कविता लेखन की प्रक्रिया प्रारम्भ किया। कविताएं व कविताओ का दृष्टिकोण समय के साथ बदलता रहता है कविताएं वर्तमान परिस्थितियों से पीड़ित होती हैं वो समाज का दर्पण बनती हैं। प्रस्तुत कविता संग्रह "रेत का शहर" मे परिस्थितियों के साथ-साथ कविताओ का दृष्टिकोण भी बदल रहा है प्रस्तुत कविता संग्रह मे उत्कृष्ट कविताओ को रखने का प्रयास किया है। ये कविताओ का संग्रह काल्पनिक व अकाल्पनिक दृष्टिकोण से भी लाभान्वित हैं। पुस्तक का शीर्षक "रेत का शहर" कविता पर आधारित है जिसमे प्रयागराज के प्राचीन से लेकर आधुनिकता का बोध है। प्रयागराज को लेकर समाज मे क्या दृष्टिकोण है तथा उभरते विचार को दिखाया गया है। कविता के संग्रह मे मेरे मित्रगण "विपिन यादव, सुजीत विश्वकर्मा, चांद यादव आदि" का मै कृतार्थ रहूंगा। हमे आशा है कि प्रस्तुत काव्य संग्रह आप के लिए रूचिकर होगी। —"विशाल मौर्य"