1920 के दशक में उदय बहादुर नामक बालक के सत्याग्रही माता-पिता व ग्रामवासियों को अंग्रेज बड़ी क्रूरता से मार देते हैं | उसके पिता जी के प्रयासों से वह बच जाता है और भाग कर दुसरे शहर चले जाता है | वहाँ प्रतिशोध की ज्वाला में जलते हुए वह बीच चौराहे पर ...
1920 के दशक में उदय बहादुर नामक बालक के सत्याग्रही माता-पिता व ग्रामवासियों को अंग्रेज बड़ी क्रूरता से मार देते हैं | उसके पिता जी के प्रयासों से वह बच जाता है और भाग कर दुसरे शहर चले जाता है | वहाँ प्रतिशोध की ज्वाला में जलते हुए वह बीच चौराहे पर जाते हुए दो अंग्रेजों पर हमला करने ही वाला रहता है कि एक अनाथ बालक उसे रोक लेता है क्योंकि ऐसा करने से उदय को मृत्युदंड ही मिलता | यही बालक आगे चलकर उसका क्रांतिकारी मित्र बनता है और दोनों युवा कुछ वर्ष पश्चात राम प्रसाद बिस्मिल व चंद्रशेखर आजाद के संगठन में सम्मिलित होकर स्वाधीनता हेतु कठोर संघर्ष करते हैं | इस कहानी में असहयोग आंदोलन व चौरा-चौरी कांड के अतिरिक्त जलियावाला बाग़ हत्याकांड का भी दर्शन होता है |