"विज्ञान और अध्यात्म" यह किताब अपनी गुरु की आज्ञा के अनुसार ही लिखी। आज पाश्चात्य सभ्यता ने हमारी सनातन संस्कृति पर धब्बा लगा दिया है और नई युवा पीढ़ी को यह विश्वास दिला दिया है कि हम कमजोर, क्षमताहीन हैं और पाश्चात्य स्वयं महान है। जिन क्षेत्रों ...
"विज्ञान और अध्यात्म" यह किताब अपनी गुरु की आज्ञा के अनुसार ही लिखी। आज पाश्चात्य सभ्यता ने हमारी सनातन संस्कृति पर धब्बा लगा दिया है और नई युवा पीढ़ी को यह विश्वास दिला दिया है कि हम कमजोर, क्षमताहीन हैं और पाश्चात्य स्वयं महान है। जिन क्षेत्रों में पाश्चात्य को अहंकार है, उसमे से एक है विज्ञान। आज हिंदू धर्म और हर एक सनातनी को भ्रम में डाल दिया गया है जिससे वे विज्ञान और अपने धर्म को भिन्न मानने लग गए। किंतु हमारी पुरातन सभ्यता से अधिक वैज्ञानिक भला और कौन वैज्ञानिक हो सकता है, कोई नही!! परमचेतना को अनुभव कर यहां के संतों ने समाज के आगे ब्रह्मांड के वैज्ञानिक रहस्य खोल डाले। अपनी बात करूं तो एक भी शास्त्र, वेद अथवा पुराण का अध्ययन अभी तक नही किया है। अभी तक अध्यात्म में 3 वर्ष हुए हैं और यह तो शुरुआत मात्र है। भीतर विराजमान गायत्री माता से ही सब वेद पुराणों का प्रकाश अध्यात्म में प्राप्त होता है। आप स्वयं देख लीजिए किताब में क्या लिखा, कैसे लिखा और कहां से आया। यह विज्ञान ही है। शुद्ध ब्रह्मांडीय विज्ञान।