Stories By Ashok kumar
शायरी
- Author Ashok kumar
ना जाने क्यूँ खुद को अधूरा सा पाया है, हर एक रिश्ते में खुद को गँवाया है । शायद कोई तो कमी है मेरे वजूद में, तभी हर किसी ने हमें यूँ ही ठुकराया है । Ashok kumar
- 107
- (0)
- 0
ना जाने क्यूँ खुद को अधूरा सा पाया है, हर एक रिश्ते में खुद को गँवाया है । शायद कोई तो कमी है मेरे वजूद में, तभी हर किसी ने हमें यूँ ही ठुकराया है । Ashok kumar