Stories By Mridula vishwakarma
एहसास कुछ बनते बिखरते रिश्तों का...
- Author Mridula vishwakarma
रिश्तों की कोई निर्धारित परिभाषा नहीं होती। कोशिश भी की जाए तो शायद कोई ऐसी परिभाषा नहीं ग़ढ़ी जा सकती जो रिश्तों को गहराई से परिभाषित कर सके। आशय यह नहीं कि रिश्ता कोई उलझी हुई इबारत है जिसे समझाया नहीं जा सकता, बल्कि असलियत यह है कि 'रिश्ता' जीवन की सफलता का एक बड़ा मानक है, जिसे कुछ शब्दों में अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता। कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जो पूरा जीवन बदलकर रख देते हैं, पर कुछ रिश्ते ऐसे भी होते हैं जिनके जुड़ने का अफसोस जीवन भर होता है और इस तरह के रिश्ते की कसक जीवनभर सालती रहती है। यादें और लम्हे अच्छे हो या बुरे आखिर याद तो आते ही है ।। कुछ ऐसे बनते बिखरते एहसासों से बुने लफ्जों को बयान करते हुए ये पंक्तियों से संकलित पुस्तक आपके सामने प्रस्तुत है .....
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