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unbreakable light of words is a poetry collection where the author feels that words travel as same as the speed of a light and it can come out in various forms as light does.......

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No offense..... Non spoiler reviews..... Honest reviews....

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Oasis

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Happiness in my heart When with me you are, when around you are; the world so in paints The stars we saw, are now shooting in pain; not to leave your hand says my thumping heart. Letting go is easy..., Is it? my hand never leaving your's But still slipping apart; stepping away from you Is a hardest fight,, the pain that made My heart squeeze, and path away from you; blur... Like a garden my world was, turned into a desert now; like a oasis I see you all over...

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जगातील सर्वात सुंदर अशी प्रेम कविता

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किसी एक जंगल में एक बन्दर पेड़ पर रहता था।वह रोज पेड़ पर बैठ कर आम खाता था।एक दिन उसी पेड़ पर कौआ आया और उससे कहा -देखो न बन्दर मामा आप तो सारे आम खा जाते हो यदि ये आम आपको नुकसान कर गए तो आपका क्या होगा।बन्दर ने कहा- मैं सारे आम खा जाता हूँ मुझे तो कुछ हुआ नहीं यदि होगा तो मैं खाना छोड़ दूँगा।कौए ने कहा -आप अगर आम नहीं खाएंगे तो आपका पेट सही होगा और आप सही तरह से रहेंगे और आपका पाचन भी सही तरह से काम करेगा।बन्दर ने सोचा -ये कौआ सही तो कह रहा है यदि मुझे आम खाने से कुछ हो गया तो मै ऐसा करता हूँ कि आम खाना छोड़ देता हूँ । अगले दिन बन्दर ने आम खाना छोड़ दिया तभी कौआ आया और बन्दर से बोला -बन्दर मामा आप यदि आम नहीं खाएंगे तो आम खराब हो जाएँगे। ऐसा करता हूँ मैं ही खा जाता हूँ ।बन्दर ने कहा -ओके आप खालो।कौए ने बन्दर के सारे आम खा जाता है और बन्दर ऐसे ही देखता रहता है।

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मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया हर मोड़ पर खुद को सजाता चला गया कभी गम कभी दुख के अश्रु बहाता चला गया पर फिर भी मैं खुद को संभालता चला गया जो चल रहा था सब चलाता चला गया जो भूलता गया मैं भुलाता चला गया फूल रूपी जीवन को निहारता चला गया विघ्न समान कांटो को छटाता चला गया नए सपनो के फसाने फसाता चला गया अंखियों मैं उमंगे बसाता चला गया सपनो के आशियाने मैं रमता चला गया नित खुद को सजाता सवारता चला गया अनुभवों से जिंदगी को बनाता चला गया व्यक्तित्व को गुणों से महकाता चला गया खुद के नए जहान मैं रमता चला गया जो मिलता गया मैं खुद मैं मिलाता चला गया जो भूलता गया मैं भुलाता चला गया नित नूतन संकल्प मन मैं बनाता चला गया मैं जिंदगी को जिंदगी बनाता चला गया अंधियारे के बादल को हटाता चला गया जीवन को प्रकाशमय बनाता चला गया जो भूलता गया मैं भुलाता चला गया मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया हर मोड़ पर खुद को सजाता चला गया प्रफुल्ल जोशी

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This day, that year Was a memorable day And so was today. Exhilarating, nonchalant, verdurous Exciting, enthusiastic and entertaining. That year was a special one. Time seems to have stopped there. I move on and yet I hang on. There is no detachment, Emotions rife, Taking me back and forth, Making me live each day, As it comes, in that year. This year is special as well. Something sure is amiss. But each day unfolds surprises, Sweet fragrances, Untold stories, waiting to be written. Catching on the veracity, Creating my space. I sure miss those times, Memories written, With immortal ink. Shikha Sharma

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Ehsaas

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Ehsaas(feel something)

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This is a short write up about nature.

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Both friends

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Mohan and sohan were good friends.he both watched movie in cinema hall every month.but mohan was poor and sohan was rich.one day sohan did offered 1000 rs for birthday party.mohan said-you is very good friend because you give party for me.otherwise me did not get party from others.sohan said - I give party for you in one weak what is your motive from others Mohan said-ok, we to to home.after mohan was to home his mother was angry.mohan said-why did you angry? His mother said-i angry where you come from.mohan said -I came from birthday party . Pushpa said-ok Next day mohan was going to sohan home he looked that sohan was ready for cinema hall.mohan said -where you are going .sohan said- I am going to cinema hall. Mohan said-but I did not ready for cinema hall. Sohan said-you will not ready for cinema hall. Mohan said-j will not ready for cinema hall why? Sohan said-because I have not enough rs for cinema hall for you. Mohan said-why so? Sohan said-my business does not properly Mohan said-ok I to for home

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