मॉं भारती की प्रिय भाषा "हिन्दी" में शुद्ध, संस्कारिक, सामर्थ्यवान, स्नेहपूर्ण, सामाजिक, सुलक्षणिक, सफलतादाई, सांसारिक सुखों से सुसज्जित, सौहार्दपूर्ण सुरों से सुरभित, एवं सुमधुर सुमनों सी सौन्दर्यवान "वृन्दावलि : काव्य-कोष" का अनुसरण करें !
- Total Chapters: 11 Chapters.
- Format: Stories
- Language: Hindi
- Category: Health, Family & Personal Development
- Tags: VrandaVali, VrandaVali Kavya Kosh, vrandavalikavyakosh, acharyavrandant, Acharya Vrandant,
- Published Date: 14-Feb-2024
मां का मूल्य
पिता का क़द
आदर्श-कुटुम्ब
अब राम कहां से लाएं
शिक्षक : मानव-पथ-प्रदर्शक
एक हाथ तिरंगा मेरा हो
भार्या-मोह
रक्षाबंधन : बंधन जीवन भर का
बेटी, भारतवर्ष की
विकलांग नहीं, दिव्यांग हैं हम
हमनें दहेज तो लिया नहीं
कवि, लेखक, शिक्षक,
मार्गदर्शक, प्रेरक, वक्ता,
चित्रकार, कलाकार,
अदाकार, रचनाकार,
साहित्यकार!
मैं हूं, इन सभी का
॥ मिश्रित-वृत्तान्त ॥
एक पिता की भुजा,
एक मॉं का आंचल,
सभी भाईयों का कन्धा,
बहनों की राखी,
एक पत्नी का श्रृंगार,
बच्चों की मुस्कान!
मैं हूं, आप सभी का
॥ आचार्य वृन्दान्त ॥
User Rating
sahil
19-Feb-2024
bhot khoob