Loading

चलता चला गया

Author Praful joshi

  • 2
  • (0)
  • 0
  • #Poetry #writer #motivation #zindagi #story
  • Published On 25-01-22
  • Language Hindi

मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया हर मोड़ पर खुद को सजाता चला गया कभी गम कभी दुख के अश्रु बहाता चला गया पर फिर भी मैं खुद को संभालता चला गया जो चल रहा था सब चलाता चला गया जो भूलता गया मैं भुलाता चला गया फूल रूपी जीवन को निहारता चला गया विघ्न समान कांटो को छटाता चला गया नए सपनो के फसाने फसाता चला गया अंखियों मैं उमंगे बसाता चला गया सपनो के आशियाने मैं रमता चला गया नित खुद को सजाता सवारता चला गया अनुभवों से जिंदगी को बनाता चला गया व्यक्तित्व को गुणों से महकाता चला गया खुद के नए जहान मैं रमता चला गया जो मिलता गया मैं खुद मैं मिलाता चला गया जो भूलता गया मैं भुलाता चला गया नित नूतन संकल्प मन मैं बनाता चला गया मैं जिंदगी को जिंदगी बनाता चला गया अंधियारे के बादल को हटाता चला गया जीवन को प्रकाशमय बनाता चला गया जो भूलता गया मैं भुलाता चला गया मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया हर मोड़ पर खुद को सजाता चला गया प्रफुल्ल जोशी

  • Total Chapters: 1 Chapters.
  • Format: Stories
  • Language: Hindi
  • Category: Biographies, Diaries & True Accounts
  • Tags: #Poetry, #writer, #motivation, #zindagi, #story,
  • Published Date: 25-Jan-2022

Praful joshi

User Rating

Loading