Stories By Sanjeev Gogia
कलम का कलाम
- Author Sanjeev Gogia
शब्द थे, समय था, कलम थी, कलम में स्याही गाढ़ी थी कभी नीली, कभी लाल, कभी हरी, जैसे रंगों की खाड़ी थी इस अनूठे संमिश्रण से इक तूफान मचलता था ऐसे में इस कलम से एक कलाम निकलता था
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शब्द थे, समय था, कलम थी, कलम में स्याही गाढ़ी थी कभी नीली, कभी लाल, कभी हरी, जैसे रंगों की खाड़ी थी इस अनूठे संमिश्रण से इक तूफान मचलता था ऐसे में इस कलम से एक कलाम निकलता था