Stories By Bhawani Shankar
जैसी बहती हों धाराएँ
- Author Bhawani Shankar
जो भी जैसा भी मिलता है उसमें ही खुश रहना सीखो जैसी बहती हों धाराएँ उनके संग-संग बहना सीखो। दिवस नया होता है प्रतिदिन अनुभव सिखलाकर जाता है, नित्य भोर नव छंद सुनाती सांझ हृदय नव लय गाता है। कहता है जो मन निश्छल उन भावों को भी कहना सीखो॥ जैसी बहती हों
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