जो भी जैसा भी मिलता है उसमें ही खुश रहना सीखो जैसी बहती हों धाराएँ उनके संग-संग बहना सीखो। दिवस नया होता है प्रतिदिन अनुभव सिखलाकर जाता है, नित्य भोर नव छंद सुनाती सांझ हृदय नव लय गाता है। कहता है जो मन निश्छल उन भावों को भी कहना सीखो॥ जैसी बहती हों
- Total Chapters: 1 Chapters.
- Format: Stories
- Language: Hindi
- Category: Children's & Young Adult
- Tags: Poetry , Kavita, Stories,
- Published Date: 04-Nov-2022
Child Stories
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