दंग दंग और दंगल तंग तंग और तंगहाल खिल खिल कर हंसना है बेहाल कहीं का बीज कहीं जा गिरा गोरों की चाल है करती बदहाल हम समझ गए पर फिर भी है अनजान अदृश्य क्या हो गए हम या फिर समय की तरकीबों पर है फंसा जी का जंजाल
- Total Chapters: 1 Chapters.
- Format: Stories
- Language: Hindi
- Category: Literature & Fiction
- Tags:
- Published Date: 21-Dec-2022
दंगल - मेरी कविता
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