Stories By Aradhana Gurung
दिवस है जी लेने का
- Author Aradhana Gurung
सुबह है प्यारी सुबह मुड़ मुड़ कर देखती अलसायी आँखें जोर जबरदस्ती है पलकों में कुछ खुलती कभी बंद होती सी चुप छुप कर निंदिया भाग जा तू अब पौ फटी अब है समय ताक़तों को तरो ताज़ा कर दिवस की प्यारी शुरुआत करने का
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दंगल
- Author Aradhana Gurung
दंग दंग और दंगल तंग तंग और तंगहाल खिल खिल कर हंसना है बेहाल कहीं का बीज कहीं जा गिरा गोरों की चाल है करती बदहाल हम समझ गए पर फिर भी है अनजान अदृश्य क्या हो गए हम या फिर समय की तरकीबों पर है फंसा जी का जंजाल
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