सुबह है प्यारी सुबह मुड़ मुड़ कर देखती अलसायी आँखें जोर जबरदस्ती है पलकों में कुछ खुलती कभी बंद होती सी चुप छुप कर निंदिया भाग जा तू अब पौ फटी अब है समय ताक़तों को तरो ताज़ा कर दिवस की प्यारी शुरुआत करने का
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- Format: Stories
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- Category: Art
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- Published Date: 22-Dec-2022
कविता
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