यह कहानी उस व्यवस्था पर बात करती है जो राह का रोड़ा बन जाती है। जो अटक-अटक कर चलती है। हालांकि इंसान की ज़िंदगी होती है चुल्लू भर पर उसे इस चुल्लू भर ज़िंदगी में गुज़ारा करने के लिए बार-बार इस व्यवस्था का सामना करना पड़ता है।
- Total Chapters: 1 Chapters.
- Format: Stories
- Language: Hindi
- Category: Humour
- Tags: Politics, Democracy, India,
- Published Date: 20-Jul-2023
उद्घाटन
मैं जो कुछ हूँ वह पूर्णतः मैं ही हूँ। इसमें कोई मिलावट नहीं है!
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