बातों का सिलसिला जब यूँ चलता रहा तो अचानक से दिल मे एक बात आई । यूँ तो मौसम भी वक़्त से रंग बदलता है फिर क्यूं इंसानो मे नफरत की कहर है छाई । चलो हम इंसान भी रंग बदलकर देख लेते है क्या पता कुछ रंग मीठा पड़ जाए । मीठे का स्वाद किसी किसी को ही पसंद आता है पर क्या पता इस मिठास से कड़वी यादें भी कट जाएं । बहुत आसान होता है किसी को ज्ञान देना पर ज्ञान पर अमल ही कौन करता है । ज्ञान से बढ़कर है दिल मे जिज्ञासा होना । जिज्ञासा अगर है तो किसी का ज्ञान भी कम पड़ जाए ।
- Total Chapters: 1 Chapters.
- Format: Stories
- Language: Hindi
- Category: Biographies, Diaries & True Accounts
- Tags: #Life, #Love, #Poems,
- Published Date: 06-Feb-2022
Poem 1 Jigyasa by Tripti Mishra
I am Tripti Mishra, currently living in Delhi. By profession I am Japanese Language Expert.
I have done graduation in 2013 in Eco(Hons). My hobbies are writing, dancing, singing.