तुम पहाड़ बनो ना मैं घाटी बनना चाहती हूं तुम सागर बनो ना मैं उसमें खोना चाहती हुं तुम धूप बनो ना मैं छावं बनना चाहती हूं तुम भोर की लालिमा बनो ना मैं रात की चांदनी बनना चाहती हुं तुम सूरज की किरणें बनो ना मैं चन्दा की आभा बनना चाहती हूं तुम पतझड़ बनो ना मैं वसंत की बहार बनना चाहती हुं तुम पश्चिमी हवा बनो ना मैं पुरबा बयार बनना चाहती हुं तुम जंगल के पेड़ बनो ना मैं उस पेड़ पर लता बनना चाहती हुं तुम जीवन बनो ना मैं श्वास की आधार बनना चाहतीं हूं तुम देव बनो ना मैं__। Arpita Bhatt
- Total Chapters: 1 Chapters.
- Format: Stories
- Language: Hindi
- Category: Arts, Film & Photography
- Tags: मेरे अनुरूप,
- Published Date: 15-Mar-2022
मैं चाहती हुं
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