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Lives in Delhi

Stories By Devanand

दिले जब़ाँ

  • Author   Devanand

आज को पाने मे कल मत खोना .कियोंकी सुरज तो रोज निकलता है..जैसा अभी आज है ..वो कल न होगा..हर पल..पल मे बदल है..अंधरी रात के बाद ही उजाला आता है.सुरज तो रोज निकलता है.कल को मूशकीलो मे गुजार बैठा है..बीती सो यबिसार दे आने हर पल को सवार दे. मंजिल की अब फ

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दिलै ज़बाँ

  • Author   Devanand

‌इशक की न पढाई न जात होती है..रूतबाँ ओर बढ जाता ..खुदा के आगे..जब कहीं एसी बात होती है ‌खाँमियो का नतीज़ा है..अपनो से जुदाई..दुसरो कै बनस्पत खुद मे ज्यदा नज़र आई.. ‌इशक की न पढाई न जात होती है..रूतबाँ ओर बढ जाता ..खुदा के आगे..जब कहीं एसी बात होती है

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